Shodashi - An Overview

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Local community feasts Perform a substantial job in these occasions, wherever devotees occur together to share foods That usually include conventional dishes. These kinds of meals celebrate each the spiritual and cultural elements of the festival, maximizing communal harmony.

रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Neighborhood and spiritual solidarity amongst devotees. Throughout these gatherings, the collective Electricity and devotion are palpable, as members interact in various types of worship and celebration.

॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥

चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

It's need that turns the wheel of karma,  and that holds us in duality.  It really is Shodashi who epitomizes the  burning and sublimation of those wishes.  It really is she who will allow the working away from outdated  karmic check here styles, resulting in emancipation and soul flexibility.

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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